अर्थव्यवस्था पटरी पर

                                                          अर्थव्यवस्था पटरी पर

दोस्तो अब आप लोगों को मेरी ब्लॉगों में कही गयी बातो पर शायद कुछ भरोषा होने लगा होगा दोस्तो मै BJP या मोदिजी का विरोधी विल्कुल नही हूँ  ऐसा मुझे इस लिये कहना पर रहा है क्योकी कुछ लोगो ने मुझे कहा की आप उनके विरोधी हो इसी लिये ये सब कह रहे हो

पर दोस्तों अब तो मूडीज वल्ड बैंक ने भी वही कहना चालू कर दिया है पर आप लोगो को घबड़ाने की बिल्कुल जरूरत नही है अभी भी कुछ नही बिगड़ा है हम अर्थव्यवस्था को पुनः गती जरूर दे सकते हैं

पर उस के लिये मजबूत,ईमानदार भेद - भाव रहित समस्या के मूल कारण को समझते हुए उस का समाधान जल्द से जल्द करना होगा  और ऐसा तभी हो पायेगा जब हम अपनी गलतियों को स्वीकार करेंगे तो दोस्तो आइये पहले हम अर्थव्यवस्था  के बिगाड़ने के मुख्य कारणों को जाने

मुख्य कारण

A सब मोदिजी से नही : दोस्तो मोदी सरकार ने काम बहुत अच्छा शुरू किया था पर मोदिजी के मंत्रिमंडल में कई महत्वपूर्ण विभाग ऐसे लोगो के पास चली गयी जिन्हें अपने विभाग के बारे में ज्ञान शून्य था उस मे से एक विभाग वित्तमंत्रालय भी था

जिस के लिये अनेको बार मैने ट्विटर के जरिये कइयो को लिख खुद PM को भी पर तुलसीदास बहुत पहले कह चुके है समर्थ के नही दोष गोसाई और वही हुआ किसी ने मेरी बातें नही सुनी और किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ने के लिये 5 साल काफी होते है और जैसा मुझे पूर्व अनुमान था वही हुआ। 

B बड़े बदलाव हड़बड़ी में : दोस्तो जब कोई भी अर्थव्यवस्था ने दौड़ना शुरू ही किया ऐसे समय मे बहुत बड़े - बड़े बदलाब से पहले बहुत सारी चीजों पर गहराई से विचार करना होता है गती पकड़े अर्थव्यवस्था को हलका झटक भी गिरा देगी अभी जो आप लोग देख रहे हैं  

अर्थव्यवस्था को गिरे इस का मुख्य कारण वही है वो चाहे नोट बंदी हो या GST ये दोनों ही अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख देने बाले फैसले थे अब ये सही है  या गलत इस पर बात करने से कोई फायदा नही होगा क्योकी रोने से समस्या बढ़ती है खत्म नही होती

C नोट बंदी: दोस्तो नोट बंदी होने पर पूरे देश मे जो नगदी अर्थव्यवस्था को चला रही थी   वो अचानक तेजी से निकलनी शुरू हुई कोई भी आपातकालीन व्यवस्था नही थी अर्थव्यवस्था के लिये लगभग सारे के सारे पैसे बैंको में पहुँच गये या यूं कहें 

अर्थव्यवस्था को निचोड़ कर उसका सारा खून निकाल लिया गया चुकी उसके बाद जल्द से जल्द उन पैसो को वापस ठीक करके अर्थव्यवस्था में डालना था।  ताकी उसकी स्थिति कम से कम बिगड़े पर ऐसा नही हुआ सब नोट बंदी सही है गलत है में लगे रहे और 

अर्थव्यवस्था नगदी के जबरदस्त अभाव के कारण मंद और मंद होता चला गया इस के बारे में विस्तार से लिखेगे तो कई किताबें बन जायेगी खैर

D पटरी पर आने से पहले ही GST: दोस्तो ये सही है या गलत इस पर मुझे अब बोलके कोई फायदा नही होगा पर अर्थव्यवस्था को नोट बंदी से उबरने के लिये समय दिये बिना इसे लागू करना गलत नही महागलत था चुकी सरकारी तंत्र चुनाव जीतने को 

अर्थव्यवस्था सुधर जाना मान गयी जब की नोट बंदी के दुष्प्रभाव इतने जल्दी दिखे भी नही तो खत्म कहा से होते और ऐसा हुए बिना ही अर्थव्यवस्था को एक बार फिर जोड़ का झटका बहुत जोड़ से दे दिया गया और तब अर्थव्यवस्था की सालो की नींव हिल गयी और 

वो आगे बढ़ना तो दूर रुका भी नही नीचे लुढ़कने लगा ये तो अब दुनियां कह रही है अब जो होगया उसे हम बदल नही सकते सुधार जरूर सकते है जिसके लिये जो प्रमुख कदम जरूरी है  

सुधार के लिये जरूरी कदम

A बेनामी सम्पत्तियो की जप्ती: दोस्तो हमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये लगातार और भारी मात्रा में नगदी सिस्टम में डालनी होगी और वो भी छापे बगैर और इस का सबसे आसान तरीका है नोट बंदी के समय जो पैसा जमा हुआ है   

जिसमें खाता धारक जरूरी पेपर नही दे रहा हो उसे सरकार तत्काल प्रभाव से बैको को दे दे जिसके कारण बैंको को जबरदस्त नगदी मिल जायेगी जिसे वो लोन के रूप में देकर फंसे पैसे को वापस अर्थव्यवस्था में जाने का रास्ता देगे  

और दूसरी तरह देश में मौजूद सभी चल अचल सम्पति को आधार से लिंक करवाना अनिर्वाय कर दे ऐसा होने पर सरकार की नजर में एक बहुत बड़ा नगदी भंडार खुल जायेगा 

B वित्तिय अनियमिता के मामले को सुपर फास्टट्रैक कोर्ट बना कर निपटारा : देश में अनगिनत ऐसे मामले है इन मामलों को जल्द से जल्द निपटारे की व्यवस्था बनानी होगी।  ताकी ऐसे मामलों के अभियुक्तों की सम्पति जल्द से जल्द कुर्की जप्ती नीलामी करके सरकार का बकाया धन वापस उसे मिले ताकि सरकार नयी योजनाओ में उसे डाल सके।

बैको को कर्ज वसूली करने के लिये वाध्य करना: दोस्तो एक आम आदमी या किसान जब लोन लेता है तो बैंक उस से लोन वापस लेने के लिये तो सही तरीका इस्तेमाल करती  है पर जैसे ही लोन की रकम 1 कड़ोर से ऊपर की दिखती है।  वो उसे नजर अंदाज करते जाते हैं  

बैंको के इसी आदत के चलते बैंको का 99% NPA उद्योगपतियो को दिये लोन ही है लगभग सभी उद्योगपति बैंको का पैसा मार के बैठे हैं जिसे बैंक हर साल NPA में जोड़ती जाती है इन NPA की वसूली करनी होगी   फिर तो यकीन मानिये बैक लोगो के घर जाकर लोन देगी और यही तो अर्थव्यवस्था का सही ईलाज है

D GST में सुधार : GST का वर्तमान स्वरूप बहुत ही त्रुटीपूर्ण है अभी भी जिसे सुधारने की जरूरत है एक ऐसी टीम बने जो जमीनी स्तर पर इसे परखे ताकी देश को एक बेहतर GST मिल सके खास कर वित्त मंत्रालय से जुड़े तमाम लोगो की क्षमता का भी मूल्यांकन हो ताकी कमी कहा हुई ये पता चले क्योकी नेता तो अँगूठा छाप होते है जो सचिव बोला वो किये। 

E सरकार को देश के लिये जवाब देह बनाये ना की उद्योगपतियो के लिये: ये सबसे अधिक जरूरी कदम है क्योकी सरकार कोई भी हो वो उद्योगपतियो को लूट का लाइसेंस बाटते ही है वश पार्टी के हिसाब से उद्योपति घराना बदल जाते है  

एक नही सौ के नाम बता दुगा पर इस से हमारी समस्याओं का समाधन नही होगा सरकार सभी कम्पनियों को एक जैसे डील करे पार्टी फंड में दिये चंदे के हिसाब से नही सब बैंको का पैसा खाये बैठे हैं लगभग सब के सब इनके हलक में हाथ डालकर निकालिये देश का पैसा इन लोगो से

Fआयकर Ed को ईमानदार तेज बनाये:देश की अर्थव्यवस्था के ये दोनों बहुत बड़े रक्षक है और ये सरकार के कैशियर भी है पर ये दोनों ठीक से काम नही कर रहे है  

क्योकी अगर करते तो बैंको का NPA ऐसे नही हर साल बढ़ते जाता इन विभागों से बेईमानो को निकालिये ये लोग देश के दीमक है  

अगर ये लोग सही से काम करने लगे तो फिर तो देश की चाँदी ही चाँदी होती 

नये रिसर्च प्रयोगों को प्रोत्साहन बढाबा : हमारे देश का आयात बहुत ही अधिक है जिसके कारण हमारा विदेशी मुद्रा भण्डार मजबूत नही हो पाता है इस के लिये हमें भारी भात्रा में नये - नये प्रयोग को करना होगा ताकी हम कम से कम आयात करे  

 ये सब करने के लिये एक ईमानदार सरकार की जरूरत होगी और अगर ये सब होगया तो यकीन मानिये देश की अर्थव्यवस्था एक बार फिर से धीरे - धीरे रफ्तार पकड़ेगी यकीन मानिये

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