शॉर्ट पोजिशन (Short Position) P2
ONGC के शेयर को खरीदने का सौदा किया और फिर बाद में 320 पर बेचने का सौदा किया । ऐसा आपने इसलिए किया क्योंकि ONGC पर आप तेजी में थे । यानी की आप बुलिश (Bullish) थे । और आपको ONGC शेयर के दाम बढ़ने की उम्मीद थी ।अब मान लीजिए चौथे दिन आप ONGC पर बेयरिश (Bearish) हैं ।
और उसकी कीमतों में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं । शेयर अभी भी 320 पर ही है । लेकिन आपको लगता है । कि कुछ ही दिनों में ये शेयर 300 पर आ जाएगा। अब आप पैसा कैसे कमाएंगे ? तो ऐसे मौके पर ही शार्ट ट्रेड किया जाता है। मान ले की अभी भी ONGC का शेयर 320 पर है ।
तो आप ONGC के शेयर को 320 पर बेचेंगे और मान लीजिए दो दिनों के बाद शेयर का दाम 300 पर आता है । तो फिर उस वक्त आप ONGC के शेयर को खरीदेंगे । ऐसा करने पर आपने पहले ONGC के शेयर को 320 पर बेचा और फिर बाद में ONGC के शेयर को 300 के दाम आने पर खरीदा ।
शॉर्टिंग (shorting) या शॉर्ट करने में हमेशा ऐसा ही होता है । जब कीमत ऊपर हो तो आप बेचते हैं । और जब उस शेयर की कीमत नीचे आती है तो उसे खरीदते हैं । तो दोस्तों मान ले आपने अपने पहले दिन वाला ही सौदा किया- ONGC को 300 पर खरीदा और 320 पर बेचा ।
लेकिन इस बार सौदा उल्टी दिशा मे हुआ । ऐसे में एक सवाल आपके दिमाग में उठ सकता है की जब ONGC का शेयर मेरे पास है ही नहीं तो उसको बेचेंगे भला कैसे ? लेकिन वास्तव में आप उसे बेच सकते हैं । ठीक वैसे ही जैसे की आपने वो फोन बेचा जो की आपके पास था ही नहीं ।
वास्तव में जब आप खरीदने के पहले बेचते हैं । तो आप एक तरह से शेयर उधार ले रहे होते हैं । और बाद में जब खरीदते हैं । तो उस उधार को चुकाते हैं । और एक्सचेंज आपको ये सुविधा देता है कि आप उधार पर शेयर बेच सकें और बाद में शेयर खरीद कर शेयर का उधार चुका सकें ।
तो कुल मिला कर देखा जाये जब आप शॉर्ट करते हैं । तो आपका नजरिया मंदी का होता है । अर्थात शेयर या इंडेक्स के नीचे जाने से आपको फायदा होता है । शॉर्ट करने के बाद भाव ऊपर जाने से आपको नुकसान होता है । जब आप शॉर्ट करते हैं । तो बाजार का कोई दूसरा भागीदार आपको शेयर उधार दे रहा होता है ।
बस आपको बाद में वही शेयर उतनी ही संख्या में दे कर उधार चुकाना होता है । लेकिन ये सब बैकएंड (Backend) सिस्टम में होता है । जिसके कारण शॉर्ट करना काफी आसान होता है । बस आपको अपने ब्रोकर को फोन कर के शेयर को शॉर्ट करने को कहना होता है ।
या फिर आप खुद ऑनलाइन जा कर शेयर चुनकर बेचने का सौदा कर सकते हैं । अगर आप शॉर्ट करना चाहते हैं । और शॉर्ट पोजीशन कुछ दिनों तक रखना चाहते हैं । तो बेहतर ये होगा कि ये सब वायदा (Derivative Market) में किया जाए। शॉर्ट करने वाले को कीमत नीचे जाने पर फायदा होता है । और कीमत ऊपर जाने पर नुकसान ।
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